पंजाब केसरी(पेरेंटिंग): अधिकतर महिलाएं शादी के बाद लेट प्रैग्नेंसी प्लान करती हैं। एेसा ज्यादातर कामकाजी महिलाएं करती हैं लेकिन 30 के बाद प्रैग्नेंसी में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दरअसल, इस उम्र के बाद प्रजनन क्षमता में कमी आने लगती है। 35-40 की उम्र में स्पर्म काउंट कम हो सकता है। इसके अलावा हार्मोंन में बदलाव आने के कारण प्रैग्नेंसी में परेशानी आती है। इस उम्र के बाद महिलाओं को हाई ब्लड-प्रेशर और डायबीटिज जैसी समस्याएं होने लगती है।
हार्ट अटैक का खतरा
एक शोध में पाया गया है कि लेट प्रैग्नेंसी से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। जो महिलाएं 40 साल की उम्र में गर्भधारण करती हैं उनमें हार्ट अटैक आने के चांस बढ़ जाते है। शोध में पाया गया है कि ज्यादातर महिलाएं देर से शादी या करियर की वजह से देर से गर्भधारण करती है लेकिन यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
शिशु के स्वास्थ्य पर होता है असर
सही उम्र में प्रैग्नेंसी में शिशु के स्वास्थ्य होने के चांस अधिक होते है। वहीं, लेट प्रैग्नेंसी में शिशु के स्वास्थ्य होने को चांस कम हो जाते है।