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नार्मल या सिजेरियन बच्चा पैदा करने के लिए कौन सी डिलीवरी है बेहतर

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 06 Jun, 2018 07:30 PM
नार्मल या सिजेरियन बच्चा पैदा करने के लिए कौन सी डिलीवरी है बेहतर

Child Delivery : प्रेंग्नेंसी कंसीव करने के बाद महिलाओं को अक्सर इस बात की चिंता सताती है कि नॉर्मल डिलीवरी (Normal Delivery) या सिजेरियन, दोनों में से कौन सी प्रक्रिया द्वारा बच्चे को जन्म देना बेहतर विकल्प है। आज के दौर में सिजेरियन डिलीवरी (Cesarean Delivery) का ज्यादा चलन हो गया है। आपको बता दें कि दोनों ही प्रक्रिया के अपने फायदे और नुकसान हैं। मां और बच्चे के स्वस्थ को देखते हुए ही इन दोनों में एक प्रक्रिया का चुनाव किया जाता है। यूं तो नार्मल तरीके से ही बच्चे को जन्म देना सही बेहतर विकल्प माना जाता है लेकिन कई बार कुछ कांप्लीकेशन को देखते हुए डाक्टर शिशु के जन्म के लिए सी सेक्शन यानी सिजेरियन डिलीवरी का निर्णय लेते हैं।

 

सिजेरियन और नार्मल डिलीवरी में क्या अंतर है? 

नॉर्मल डिलीवरी में शिशु का जन्म गर्भवती महिला के योनि मार्ग के द्वारा करवाया जाता है जबकि सिजेरियन (सी-सेक्शन) डिलीवरी में गर्भवती महिला के पेट को ऑपरेशन के द्वारा खोल कर गर्भाशय में से बच्चे को निकाला जाता है। 

 

नार्मल डिलीवरी के फायदे (Normal Delivery Benefits )

1. नॉर्मल डिलीवरी (Normal Delivery Pain) एक कठिन प्रक्रिया है जिसमें  मां को बहुत ही असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ता है लेकिन इस प्रक्रिया के फायदे बहुत से हैं। महिला  24 घंटे से 48 घंटे के अंदर घर जाने में सक्षम हो जाती है। अगर महिला की स्थिति ठीक हैं तो उसे जल्दी भी जाने दिया जाता है।

 

2. सिजेरियन डिलीवरी में पेट का आपरेशन होता है जिसकी वजह से पेट के जख्मों को भरने में थोड़ा समय लगता है लेकिन नॉर्मल डिलीवरी में ऐसा नहीं होता। 

 

3. नॉर्मल डिलीवरी का एक फायदा यह भी है कि इसमें शिशु के जन्म के लिए गर्भवती महिला की रीढ़ की हड्डी पर इंजैक्शन नहीं लगाया जाता। 

 

4. नॉर्मल डिलीवरी में महिला सिजेरियन डिलीवरी के खतरों से सुरक्षित रहती है।  उदाहरण के लिए  सिजेरियन डिलीवरी के बाद गंभीर रक्तस्राव, जलन, इंफेक्शन और कई महीनों तक  टांको में दर्द की समस्या आदि।

 

5. नॉर्मल डिलीवरी के बाद मां अपने शिशु को स्तनपान करा सकती है लेकिन सिजेरियन डिलीवरी के तुरंत बाद शिशु को स्तनपान कराना बहुत तकलीफ में हो सकता है यह कुछ समय तक नामुमकिन भी हो सकता है। 

 

6. सिजेरियन डिलीवरी की तुलना में नार्मल डिलीवरी में शिशु को अपनी मां के साथ प्रारंभिक संपर्क थोड़ा पहले मिल जाता है।

 

7. योनि मार्ग से प्रसव के दौरान, इस बात की संभावना रहती है कि योनीमार्ग के चारों ओर की मांसपेशियां नवजात शिशु के फेफड़ों में पाए जाने वाले द्रव को निचोड़ने  का काम करेंगे। 

 

8. नॉर्मल डिलीवरी से शिशु को जन्म के समय सांस लेने की समस्या कम होती है। बच्चा संक्रमण से बचा रहता है। 

 

सिजेरियन डिलीवरी होने के  कारण (Reasons For Cesarean Delivery)

जुड़वा बच्चे होना

 मां को डायबिटीज या हार्ट प्रॉब्लम होना।

 हाई ब्लड प्रेशर होना

 

सिजेरियन डिलीवरी के फायदे (Benefits of C Section )

अधिकांश मामलों में सिजेरियन डिलीवरी पहले से निर्धारित होती है। इसमें पहले से ही शिशु की डिलीवरी (Baby Delivery) का दिन और समय निर्धारित होता है। इस वजह से शिशु को जन्म देने वाली मां जन्म से संबंधित तैयारियां पहले से कर सकती हैं। 

 

सी सेक्शन के नुकसान (Cesarean Delivery Side Effects)

1. अगर गर्भवती महिला नॉर्मल डिलीवरी के द्वारा शिशु का जन्म कराने में सक्षम है तो सिजेरियन डिलीवरी से उसे ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा। सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला को 4 से 5 दिनों तक अस्पताल में रुकना पड़ सकता है। 

 

2. ऑपरेशन वाली जगह पर महिला को कुछ महीनों से लेकर कई सालों तक दर्द रह सकता है।

 

3. सिजेरियन डिलिवरी में मां को खून की कमी और संक्रमण का खतरा बना रहता है।ऑपरेशन के दौरान आंत या मूत्राशय की घायल होने की संभावना भी बनी रहती है। सिजेरियन ऑपरेशन के तुरंत बाद महिला स्तनपान कराने में सक्षम नहीं रहती है।

 

4. सिजेरियन डिलीवरी के बाद रिकवरी प्रोसेस बढ़ जाती है। इससे काफी असुविधा और दर्द भी होता है।

 

5. त्वचा और नसों के आसपास सर्जरी के निशान को ठीक होने में समय लग सकता है।  घाव और निशान को ठीक होने में कम से कम 2 महीनों का समय लग सकता है। अगर महिला के पहले शिशु का जन्म सिजेरियन डिलीवरी  के द्वारा हुआ है तो भविष्य में बाकी बच्चों के जन्म के लिए सिजेरियन डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।

 

क्या नार्मल डिलीवरी में जान का खतरा हो सकता है? 

शिशु का जन्म एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है। हमारे शरीर की संरचना इस तरह से हुई है कि यह एक शिशु को सुरक्षित रूप से जन्म दे सकें।
 

 

क्या सिजेरियन डिलीवरी में जान का खतरा है?

हर साल भारत में करीब 45,000 महिलाएं  की मौत सिजेरियन डिलीवरी के वजह से होती है। ऑपरेशन के बाद अगर साफ सफाई का ख्याल ना रखा जाए तो इंफेक्शन बढ़ सकता है, जिसे 'सेप्सिस' कहते हैं। भारत में प्रसव के दौरान होने वाली मौतों में, सेप्सिस  तीसरा सबसे बड़ा कारण है। 

ऑपरेशन के दौरान अगर साफ सफाई का ध्यान रखा जाए तो सिजेरियन बहुत सुरक्षित प्रक्रिया है लेकिन तुलनात्मक रूप से नार्मल डिलीवरी ज्यादा सुरक्षित है अगर इसकी तुलना सिजेरियन डिलीवरी से की जाए तो। 


 

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