आजकल स्कूल हो या घर बच्चा कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है। मां-बाप बच्चे की सुरक्षा को लेकर हर वक्त चिंतित रहते हैं। वह यहीं चाहते हैं कि उनका बच्चा जहां भी रहें खुश और सुरक्षित रहें। घर पर मां- बाप बच्चे की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं, लेकिन स्कूल में वह एेसा नहीं कर सकते हैं। स्कूल में बच्चे की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ टिर्चस कि ही नहीं बल्कि मां-बाप की भी होती है। पेरेंट्स को पता होना चाहिए कि जिस बस में आप बच्चों को भेज रहें है उसमें सी-सी टीवी कैमरा, जीपीएस सिस्टम और एक महिला सहायक है या नहीं। इस बात की जानकारी होने के साथ ही मां- बाप कुछ ओर बातों का ध्यान रखे तो बच्चों के साथ होने वाली दुर्घटानाओं को रोक सकते हैं। आज हम आपको उन्हीं कुछ बातों के बारे में बताएंगे जिनको अपना कर आप बच्चे को सुरक्षित रख सकते हैं।
1. बच्चा सुरक्षित स्कूल पंहुचा की नहीं
जब बच्चा घर से स्कूल जाता है तो मां- बाप सबसे पहले यह पता कर सकते हैं कि उनका बच्चा ठीक ढंग से स्कूल पहुंच गया है कि नहीं आजकल बहुत सी ऐप है जिनका उपयोग करके इस बात का पता लगाया जा सकता है।
2. गुड टच और बैड टच के बारे में बताएं
बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताना बहुत जरूरी है। उन्हें बताएं कि किसी व्यक्ति का गले या हाथ लगाना अगर उन्हें अच्छा न लगे तो वो इसके बारे में घर या स्कूल में किसी से बात जरूर करें।
3. स्कूल में कहीं अकेले जाने से बचें
बच्चों को डर कर रहने को मत कहें। उन्हें कहें कि अगर कोई गलत बात या गलत हरकत करता है, तो उसके बारे में टीचर या किसी बड़े से बात जरूर करें।
4. चुप न रहें
कई बार बच्चे के साथ कुछ गलत हो रहा होता है लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाता। उस समय मां- बाप की जिम्मेदारी बनती है कि उनको किसी तरह प्यार से समझा कर उनसे बात को जाने की कोशिश करें और अगली बार से चुप न रहने की सलाह दें।
5. बच्चों की बात सुने
कई बार बच्चे स्कूल के बारे में कोई बात करता हैं लेकिन घर वाले उस बात को नंजरअदाज कर देते हैं। इससे बच्चे को लगता है कि उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं देता इसलिए वह अगली आपको कोई भी बात नहीं बताएेगा।
6. बाथरूम- टॉयलेट के बाहर कैमरा
स्कूल में सबसे ज्यादा असुरक्षित बच्चा बाथरूम- टॉयलेट में ही होता है इसलिए इस बात की पूरी वेरिफिकेशन करनी चाहिए कि बाथरूम और टॉयलेट के बाहर कैमरा लगा है कि नहीं।
7. स्कूल काउंसलर के बारे में बताएं
बच्चों को स्कूल काउंसलर के बारे में बताना चाहिए। उनके साथ बच्चों की बातचीत, सेशन और इंटरेक्शन करवाएं ताकि अगर स्कूल में बच्चों के साथ कुछ गलत हो रहा हो तो वह उसके बारें में किसी से बात करें।
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