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Nari

बच्चों की भावनाओं को समझना भी हैं जरूरी

  • Updated: 01 Mar, 2017 06:43 PM
बच्चों की भावनाओं को समझना भी हैं जरूरी

पेरेटिंगः यदि आपके बच्चे का भावनात्मक स्तर किसी भी वजह से बिगड़ा हुआ है तो वह कुछ संकेत देता है तथा उन्हें समझना आपकी जिम्मेदारी है ताकि आप वक्त पर उनका निदान कर सकें। यदि बच्चा अंगूठा चूसे या दांत से नाखून काटे, बहुत रोए, दूसरों से नजरें मिलाने से बचे, बच्चे को सोने में या बोलने में तकलीफ हो, उसे अकेले रहना पसंद हो तथा खेलने ना जाता हो, बहुत जिद्दी हो जाए, किसी बात या चीज का फोबिया हो जाए, खुद के बारे में नाकारात्मक बातें करे, बिस्तर गीला करे, शर्मीले स्वभाव का हो जाए या फिर उसका शारीरिक और मानसिक विकास धीमा हो जाए तो आपको उसकी तरफ अपना पूरा ध्यान देना होगा।

जरूरी है उसका इमोशनल अत्याचार से बाहर आना
भावनात्मक नुकसान के प्रभाव लंबे अरसे के बाद ही सामने आते हैं और उस समय उनका इलाज कर पाना मुश्किल हो जाता है। यह सिर्फ बच्चे के विकास के लिए ही नहीं, बल्कि उसके जीवन के लिए भी घातक होता है।
बच्चों पर इसके कई तरह के प्रभाव देखने को मिलते हैं।
- इससे बच्चा डिप्रेशन में चला जाता है। 
- रिश्ते-नाते एवं रिश्तेदारों से कटने लगता है।
- बहुत सारे अनजाने भय से ग्रस्त हो जाता है।
- अपनी भावनाओं को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाता।
- किसी पर या खुद पर विश्वास की कमी हो जाती है।
- हमेशा सबको शंका की नजर से देखने लगता है।
- स्वयं को हमेशा कम आंकने लगता है।


क्या करें पैरेंट्स
याद रखें कि बाल मन जितना सरल एव सहज होता है। उतना ही जटिल भी होता है। आपके बच्चे आपसे सिर्फ प्यार और स्वीकृति चाहते हैं। वे चाहते हैं कि आप उनकी सफलता को ही नहीं, बल्कि असफलता को भी सहर्ष स्वीकार करें। उन्हें संभल दें, उन्हें भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करें, उनसे बात करें तथा उनकी ङ्क्षचताओं एवं सवालों का समाधान करें, इसलिए पैरेंट्स को चाहिए कि उनकी आंखों में अपने सपने भरने की अपेक्षा उनके सपनों को समझें और उन्हें पूरा करने में उनका साथ दें। अत: अभिभावकों को चाहिए कि अपने बच्चों की भावनाओं का सम्मान करें, जरूरत पडऩे पर काउंसलर की मदद लेने से भी न हिचकें। 

हेमा शर्मा, चंडीगढ़


 

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