पंजाब केसरी(सेहत)- कैंसर से निपटने का कारगर तरीका कीमोथैरेपी उसके और आक्रामक रूप अख्तियार करने का कारण बन सकती है। हाल में हुए शोध में विशेषज्ञों ने दावा किया है कि कैंसर कारक ट्यूमर को खत्म करने के लिए किए जा रहे उपचार के प्रभाव से कैंसर के शरीर के अन्य अंगों में फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
न्यूयार्क स्थित एल्बर्ट आइंस्टीन कालेज ऑफ मैडीसन में हुए शोध में विशेषज्ञों ने देखा कि कीमोथैरेपी कैंसर का अल्प अवधि उपचार है। कीमोथैरेपी को स्तन कैंसर के मरीजों के इलाज का प्राय: पहले विकल्प के तौर पर देखा जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कीमोथैरेपी से ट्यूमर को खत्म करने की कोशिश के साथ-साथ यह नए ट्यूमर के विकसित होने की राह खोलता है। इसके कारण कैंसर गंभीर रूप ले सकता है और इसका इलाज करना पहले से अधिक मुश्किल हो सकता है। शोधकर्ता डाक्टर जार्ज कारागिएनिस ने कहा, आप्रेशन से पहले की जाने वाली कीमोथैरेपी के बाद ट्यूमर के उत्तकों की पड़ताल की जा सकती है। इससे यह देखा जा सकता है कि अगर ट्यूमर के मार्कर बढ़ रहे हैं तो कीमो को रोककर पहले ऑप्रेशन किया जा सकता है। गोलियों या इंट्रा वेनस ड्रिप से दी गई कीमो की दवा रक्त प्रवाह के साथ पूरे शरीर में प्रवाहित हो सकती है। इस तरह दवा के ट्यूमर से निकलकर दूसरे अंगों पर हमले की फिराक में बैठी कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचने की अधिक संभावना है। स्तन कैंसर के ज्यादातर मामलों में यही देखने को मिलता है।
सिएटल स्थित फ्रेड हचिसन कैंसर रिसर्च सैंटर में 2012 में हुए शोध में विशेषज्ञों ने दावा किया था कि कीमोथैरेपी ने स्वस्थ कोशिकाओं को ट्यूमर के विकास में मदद करने के लिए सक्रिय किया। मानव जीव विज्ञान के प्रोफैसर और शोध के वरिष्ठ लेखक पीटर नेल्सन ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से कीमोथैरेपी कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने का सटीक तरीका है।
हालांकि उन्होंने कहा कि ट्यूमर को खत्म करने के लिए जरूरी मात्रा मरीजों के लिए नुकसानदेह हो सकती है। लिहाजा डाक्टरों को इसकी खुराक हल्की करनी होती है, जिसके कारण कैंसर को आगे बढऩे में मदद मिल सकती है। इसके अलावा ट्यूमर कोशिकाओं के जीवित बचने की आशंका बढ़ जाती है। यह कीमोथैरेपी के प्रति प्रतिरोधी होने के साथ ही अन्य अंगों में फैल सकती है।