पंजाब केसरी (ट्रैवलिंग) : दुनिया में बहुत अजीब जगहें होती हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसी ही एक जगह है छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके की जहां जमीन से 55 फीट नीचे 330 मीटर लंबी गुफाएं फैली हैं। जमीन से काफी नीचे होने की वजह से यह गुफाएं पानी से भरी हैं और इस पानी में अंधी मछलियां पाई जाती हैं। इन अनोखी मछलियों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं।
गुफा की खोज
इन गुफाओं की खोज बिलासपुर के रहने वाले प्रोफेसर शंकर तिवारी ने 1958 में की थी। वे आदिवासियों की मदद से टार्च, रस्सी और जरूरत का सामान लेकर यहां आए थे। खोज के दौरान उन्होंने देखा कि चूना पत्थर से बनी इन कुटुमसर गुफाओं में पानी के कटाव की वजह से कई अाकृतियां बन गई हैं। प्रोफेसर शंकर ने गुफा के अंदर बने पोखरों में मछलियां देखीं जो आंखों से देख नहीं सकती थी। इनका रंग खून की तरह एक दम लाल था।
मछलियों के अंधे होने का कारण
इन गुफाओं में सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती जिस वजह से यहां आने वाले व्यक्ति सही तरह से देख नहीं पाता। यही वजह है कई सालों से इन गुफाओं में रहने की वजह से मछलियों की आंखों पर पतली झिल्ली चढ़ चुकी है जिस वजह से वे पूरी तरह अंधी हो गई हैं।
पर्यटकों के आने का समय
इन गुफाओं में पाई जाने वाली अंधी मछलियों को देखने के लिए पर्यटक यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से आते हैं। इस गुफा को देखने के लिए केवल 25 रूपए की टिकट लेनी पड़ती है और कुटुमसर गुफा के दरवाजे सर्दियों में ही खोले जाते हैं।