रिलेशनशिप: जब पापा की प्यारी बिटिया जन्म लेती है तो एक पिता को उसके घर परी के आने का एहसास जैसा होता है। एक बेटी जितने अपने पिता के करीब होती है शायद ही किसी और के हो। यहां तक कि वह शादी के बाद अपने पति में भी अपने पापा की ही छवि को ढूंढती है ताकि उसे वहां पर वैसा ही प्यार मिल सकें।
बदलती सोच
आज का समय बदल रहा है, अब हर पिता बेटे के साथ एक बेटी को जरूर चाहता है। पिता का झुकाव घर के चिराग से ज्यादा घर की रोशनी पर होने लगा है यानी कि बेटी पर। उसे जीवन में बेटी का महत्व समझ में आने लगा है। बेटियां जिन्हें कभी ये शिकायत रहती थी कि पापा तो सिर्फ भईया के ही हैं, वो तो सिर्फ उसे ही प्यार करते हैं, वहीं आज बेटियां पापा की आंखों का तारा, उनकी लाडली बन गई हैं और बेझिझक कहती हैं- ‘हां मैं हूं पापा की लाडली’।
समझदार एवं स्पोर्टिव
माडर्न जमाने के साथ पिता और बेटी दोनों की सोच बड़ी समझदार हो गई है। पिता अपनी बेटी को खूब पढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाना चाहता है ताकि उसे जीवन में किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। वहीं, बेटी भी अपने पिता का नाम रोशन करना चाहती है और बुढ़ापे में उनका सहारा बनना चाहती है।