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Nari

प्रोबायोटिक्स के स्वास्थ्य लाभ

  • Updated: 04 Jul, 2015 09:42 AM
प्रोबायोटिक्स के स्वास्थ्य लाभ

9 वर्षीय नैना मदान को जन्म से ही पेट संबंधी , गैस्ट्रोएंट्राइटिस तथा लैक्टोका इनटॉलरैंस जैसी समस्याएं थीं । इतनी छोटी उम्र में तेज एंटी बायोटिक्स लेने की बजाय उसे प्रोबायोटिक्स (स्वास्थ्य के लिए अच्छे जीवित बैक्टीरिया तथा खमीर) लेने की सलाह दी गई जिससे धीरे-धीरे उसकी समस्याओं में कमी आती गई । 

उसकी माता जानकी मदान के अनुसार जब नैना को प्रोबायोटिक दवाइयां दी गईं तो उसे सचमुच बहुत सहायता मिली । प्रोबायोटिक्स में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो एंटीबायोटिक्स के मुकाबले बेहतर होते हैं ।आज भी वह नैना को प्रोबायोटिक ड्रिंक देती हैं जो उसके पाचन तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता के निर्माण में सहायता करती है । इसका स्वाद  बहुत बढिय़ा होता है ।

राजीव गांधी सैंटर फॉर बायोटैक्नोलॉजी त्रिवेंद्रम के प्रो. जी. बालाकृष नायर के अनुसार लैक्टोका इनटॉलरैंस, डायरिया, सूजन तथा इरीटेबल बोवेल सिंड्रोम जैसी बीमारियों में प्रोबायोटिक्स दवाएं लेने से अच्छे परिणाम सामने आए हैं ।जिन अन्य बीमारियों में प्रोबायोटिक्स के बढ़िया परिणाम देखने को मिले हैं उनमें शामिल हैं एलर्जी, मैटाबोलिक सिंड्रोम, मोटापा, टाइप-2 डायबिटीका, श्वसन प्रणाली संबंधी संक्रमण, मुंह तथा त्वचा की समस्याएं तथा मानसिक रोग ।

विशेषज्ञों के अनुसार प्रोबायोटिक्स विज्ञान सम्मत है और कैंसर के इलाज में इनके इस्तेमाल पर संसार भर में शोध चल रही है । कैंसर शरीर में हमारे जैनेटिक कोड के साथ होने वाले छोटे-छोटे ‘एक्सीडैंट्स’ का समूह है ।ये एक्सीडैंट्स समय बीतने के साथ-साथ एकत्रित होते हैं । प्रोबायोटिक्स के सेवन से  इन एक्सीडैंट्स को रोका नहीं जा सकता परन्तु इनकी संख्या को सीमित किया जा सकता है । उदाहरण के तौर पर विषैले तत्वों को कम करके और साथ ही रोग-प्रतिरोधक क्षमता को अधिक प्रभावी बना कर । 

जापान में हुई कुछ शोधों के अनुसार ‘लैक्टोबैसिलस  शिरेटा’ नामक प्रोबायोटिक के सेवन से ब्लैडर कैंसर, कोलोरैक्टल कैंसर तथा ब्रैस्ट कैंसर से बचा जा सकता है । विशेषज्ञों के अनुसार प्रोबायोटिक्स की सहायता से उपचार को विश्व भर में काफी महत्व दिया जा रहा है ।

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