16 APRTUESDAY2024 7:01:04 PM
Nari

संतान के रोल मॉडल होते हैं पिता

  • Updated: 21 Jun, 2015 10:20 AM
संतान के रोल मॉडल होते हैं पिता

कहते हैं कि जब सृष्टि को चलाने के लिए ईश्वर ने मां की रचना की तो मां ने उनसे कहा- ईश्वर, संतान को पालने का जो दायित्व आपने मुझे सौंपा, मैं आपकी ऋणी हूं लेकिन मैं हर समय अपनी संतान के साथ तो नहीं रह सकती । मुझे उसकी सुरक्षा की चिंता हर पल सताती रहेगी । तब ईश्वर ने पिता की रचना की और दोनों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि आज से मां के रूप में तुम अपनी संतान का पालन करोगी और उसे सुरक्षा देने और पोषण की जिम्मेदारी पिता की होगी ।

तब से आज तक यही रीत चलती आ रही है कि मां घर रह कर संतान को अच्छे संस्कार देकर चरित्रवान बनाती है और पिता बाहर काम करके परिवार का पालन-पोषण करते हैं । पिता उस मजबूत वट वृक्ष की तरह होते हैं जिसकी ठंडी छाया में पूरा परिवार सुखी और सुरक्षित रहता है । कुल मिलाकर कहा जाए तो यदि मां घर की शान है तो पिता अस्तित्व है। मां यदि सबका पेट भरने के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाती है तो उसकी व्यवस्था की जिम्मेदारी पिता की होती है ।

परिवार का आधार स्तम्भ 
यह सच है कि परिवार में पिता का एक अलग और महत्वपूर्ण स्थान होता है । पहले समय में होता था कि संतान और घर से जुड़ी हर जिम्मेदारी मां की होती थी लेकिन आज पिता भी यह जिम्मेदारी निभाने में बराबर के भागीदार हैं । सर्दी हो या गर्मी, बरसात हो या अन्य कारण हम तो आराम से घर पर बैठते हैं लेकिन उनके लिए आराम हराम है क्योंकि उन्हें बाहर की सभी जिम्मेदारियां निभानी होती हैं ताकि आप को किसी चीज की कमी न हो । पिता होने के नाते वह ऐसे कई दायित्वों से बंध जाते हैं जो उन्हें हर हाल में निभाने ही पड़ते हैं । वह परिवार का आधार स्तम्भ होते हैं जिसकी मजबूती परिवार को सुदृढ़ सुरक्षा का एहसास कराती है । अत: पिता का मान-सम्मान बहुत जरूरी है ।

कठोरता के पीछे छिपा स्नेह 
अक्सर हम देखते हैं कि बच्चे मां के ज्यादा करीब होते हैं । जब तक पिता घर से बाहर होते हैं बच्चे सारा समय खूब धमाल मचाते हैं लेकिन पिता के घर में कदम रखते ही घर का माहौल एकदम शांत हो जाता है । बच्चे किताबें खोल कर पढऩे का दिखावा करने लगते हैं, उस समय सब जानते-बूझते भी पिता के होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है क्योंकि वह भी अपने बचपन में कभी न कभी इन परिस्थितियों से गुजर चुके हैं ।

पिता को अक्सर संतान सख्त और गुस्से वाला समझती है लेकिन उस कठोरता के पीछे छिपे स्नेह को वह समझ ही नहीं पाते । यह पिता की नियति है कि वह इस स्नेह को बहुत कम प्रदर्शित करते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि संतान को एक सही इंसान बनाने में मां के वात्सल्य के साथ पिता की कठोरता का होना जरूरी है ताकि जिंदगी की तपती दोपहरी में आने वाले सुखों और दुखों को अपनी जिंदगी में शामिल करके आप परिस्थितियों का सामना करने को हमेशा तैयार रहें ।

जिंदगी संवारते हैं पिता
 
पिता परिवार में उस सूर्य की तरह हैं जो गर्म रह कर भी रोशनी प्रदान करते हैं लेकिन उनके न रहने से हर तरफ अंधेरा छा जाता है । आपकी जिंदगी को सही दिशा प्रदान करना उनका कर्तव्य है लेकिन आज की पीढ़ी अपना एक अलग ही नजरिया लेकर चलती है और यही वजह है कि आज पिता और संतान में कभी-कभी टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।

यदि पिता आपके करियर को लेकर कुछ समझाते हैं तो उसे समझने की कोशिश करें । जब वह बात कर रहे हों तो उनकी बात काटने की धृष्टता न करें । उन्होंने आप से ज्यादा दुनिया देखी है अत: उनके निर्णयों का सम्मान करें ।  यदि आपको लगे कि आप भी सही हैं तो आराम से बिना गुस्सा किए पिता से इस बारे में बात करें । कभी-कभी आप भी सही साबित हो सकते हैं यह आप पर निर्भर करता है कि आप कैसे अपने पिता को प्रभावित कर पाते हैं । उनके सपने आप में छिपे हैं, जो वह हासिल नहीं कर पाए, हो सकता है कि वे आप में उन्हें पूरा करना देखना चाहते हों ।

जब वह आपकी उम्र के थे उनकी भी चाहतें और अरमान रहे होंगे जो किसी कारणवश पूरे न हो सके हों और जब उन्हें पूरा करने का समय आता है तब तक उनके कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है । आप चाहे उन्हें चाहें या न चाहें लेकिन वह कभी भी आप से मुंह नहीं मोड़ सकते । जब आप रोते हैं तो वह भी छुप-छुप कर आंसू बहाते हैं लेकिन वह किसी को दिखाते नहीं क्योंकि वह एक पुरुष हैं । आपकी खुशी में वह खुश होते हैं क्योंकि भीतर ही उन्हें एक निश्चिंतता होती है कि वह अपनी संतान को खुश रखने में सक्षम हैं । 

पिता होते हैं संतान के रोल मॉडल
जब बच्चे पिता को विषम परिस्थितियों में परिवार को संभालने में सही निर्णय लेते देखते हैं तो बच्चों में भी जीवन को सकारात्मक रूप से देखने की इच्छा शक्ति सुदृढ़ होती है । वे भी अपने पिता की तरह बनना चाहते हैं अत:  एक पिता की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ इंसान के रूप में अपना जीवन बिताएं ताकि बच्चों का रोल मॉडल बन सकें ।

बच्चों को यह समझने की जरूरत है कि वे कभी भी पिता की कम आय को लेकर उन्हें बातें न सुनाएं । जितना उनसे हो सकता है वह उससे बढ़कर ही आपको देना चाहते हैं । सोचें कि यदि वे अपनी आय को अपने सपनों को पूरा करने में खर्च करने लगें तो आप का क्या होगा? जब आप मुश्किल में होते हैं तब पिता ढाल बन कर आपके पीछे रह कर आपको सुरक्षा और हिम्मत देते हैं ।

पिता के संरक्षण में आप फलते-फूलते और चैन की नींद सोते हैं जबकि पिता आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए रात भर जाग-जाग कर यह सुनिश्चित करने में लगे होते हैं कि मैं कैसे अपनी संतान को ज्यादा से ज्यादा खुश रख सकूं । पिता का परिवार में सम्माननीय स्थान होता है जिस नाते हरेक का फर्ज बनता है कि उन्हें पूरा सम्मान, प्यार और सहयोग दें । पिता है तो हमारा अस्तित्व कायम है अत: ऐसे पिता को हमारा ढेर सारा प्यार समर्पित है।

- सरिता शर्मा, हेमा शर्मा

Related News