स्पांडिलाइटिस में गर्दन और रीढ़ की हड्डियों में दर्द होता है । इन अंगों की कोशिकाओं में सूजन या संक्रमण होने से यह समस्या आती है । इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे - गर्दन आगे झुकाकर ज्यादा देर तक काम करना, वंशानुगत तनाव, ठंड लगना, अचानक गर्दन में झटका लगना, मोटे तकिया या गद्देदार बिस्तर का प्रयोग, बैठकर हमेशा लंबी यात्रा करना, कब्ज की शिकायत रहना, गलत आसन में बैठना या सोना । यह किसी दुर्घटना से भी हो सकता है ।
लक्षण: गर्दन, कंधों और पीठ में दर्द का होना। हाथ की उंगलियों में झनझनाहट या कभी-कभी दर्द का होना । सिर भारी रहना या चक्कर आना । गर्दन पीछे घुमाने पर चक्कर आना या दर्द होना ।
यौगिक क्रिया : इस रोग में खासकर पवन मुक्तासन समूह के आसन का अभ्यास विशेष लाभप्रद है । कलाई मोडऩा, कलाई के जोड़ को घुमाना, कुहनियां मोडऩा, कंधों को घुमाना ,गर्दन झुकाना, मोडऩा और घुमाने का अभ्यास, भुजंगासन, अर्धशलभासन, शलभासन, कटि चक्रासन, नौकसन और मकरासन का अभ्यास लाभदायक है । कठोर बिस्तर पर सोएं, तकिए की जगह तौलिए का इस्तेमाल करें ।
आहार: पेट हमेशा साफ रखें । सुबह में नींबू-पानी और शहद लें । संतरे के रस का सुबह में नियमित सेवन करें । नाश्ते में खिचड़ी, दलिया या अंकुरित अनाज इस्तेमाल करें । अंकुरित अनाज में मूंग, मेथी और अजवाइन का प्रयोग करें । भोजन में मोटी रोटी, दाल, उबली सब्जी और सलाद लें । शाम में सब्जियों का सूप लें । सब्जी में खासकर हरी मेथी, लहसुन, सहजन, परवल, करेले का प्रयोग करें । कोल्डड्रिंक से परहेज करें ।
- डॉ. नन्द कुमार झा( योग व प्राकृतिक विशेषज्ञ)