तू ही मेरा पहला प्यार
तू ही मेरा संसार मां
तू ही मेरा सब सुख
तू ही मेरे मुख की पहली पुकार मां
तू ही हर शायर की गजल
तू ही हर दिल का गिटार मां
तेरी शरण ... मेरी जन्नत
तू ही दुश्मानो के लिए दीवार मां
चार-पांच फुट से भी बड़े हो गए
अब तो अपनी औलाद को गोद से नीचे उतार मां
तेरे कंधे थक गए होंगे
अब आराम कर ... मेरी विनती स्वीकार मां
तेरी लाडो और तेरा लाडला दोनों बिगड़ गए
तू ही अब हमें सुधार मां
रब ने दिए मुझे दो हाथ...
तुझे दिए क्यों हजार मां ?
हीरे, चांदी, सोना, रुपया...
सब तेरे आशीर्वाद के बिना बेकार मां
हर धूप में तेरा आंचल देता छांव
धन्य तेरा त्याग, तुझको बार-बार नमस्कार मां
जान अपनी न्योछावर कर दू तुझ पर अगर आज...
तो भी नहीं चुका सकूंगा तेरा उधार मां
तूने किया बहुत कुछ मेरे लिए
कर एक और ... शायद आखरी उपकार मां
जिस दिन तुझे मेरी दुनिया से ज़्यादा... खुदा का घर प्यारा लगे...
उस दिन कर देना एक तलवार ...मेरे सीने के भी आर-पार मां
तेरे बिन उजाला भी मेरे लिए...अंधकार मां
तेरी कोख से हर जन्म लूं बस यही दे दे अधिकार मां
तू मेरी वैष्णो मैया ...और पिता मेरे साई राम
चमके उनकी शिर्डी... और तेरा हरिद्वार मां
आज तेरी याद में बह रही है जो...मेरे नैनो से अश्रधार मां
धो लेने दो मुझे उनसे चरण तुम्हारे, मत करना इनकार मां
तू ही मेरा पहला प्यार
तू ही मेरा संसार मां
तू ही मेरा सब सुख
तू ही रहना मेरे जीवन की अंतिम पुकार मां
तेरी अंखियों का तारा
विजय गांधी