‘‘आधुनिक युग में शिक्षा का व्यवसायीकरण होने के कारण गुरु का रुतबा प्रभावित हुआ है परन्तु एक अध्यापक को अपने कर्म का निर्वाह पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से करना चाहिए क्योंकि बच्चों को एक जिम्मेदार नागरिक एवं अच्छा इंसान बनाने में अध्यापकों एवं अभिभावकों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।’’
उक्त विचार शिक्षा के क्षेत्र में बहुमूल्य एवं सराहनीय योगदान देने वाली गोराया के सरकारी कन्या प्राइमरी स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती अंजू बाला ने व्यक्त किए। शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान देने की एवज में पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग से स्टेट अवार्ड प्राप्त कर चुकी अंजू बाला मूल रूप से पंजाब के ऐतिहासिक कस्बा नूरमहल से संबंध रखती हैं। प्राथमिक शिक्षा नूरमहल से प्राप्त करने के बाद डी. आर्कीटैक्चर, बी.ए.,पी.जी. डी.सी.ए, एम.ए., एमएस. सी., बी.एड., एम.एड., यूजी नैट तक कई डिग्रियां प्राप्त कीं और अब एम. फिल पीएच.डी. कर रही हैं जोकि अगले वर्ष पूर्ण होगी।
अध्यापन के प्रति जुनून
अंजू बाला ने अपने करियर की शुरूआत बतौर आर्कीटैक्ट की। उसके बाद दूरदर्शन केन्द्र जालंधर पर कुछ समय एंकरिंग भी की परन्तु उनका ध्यान हमेशा अधिक डिग्रियां प्राप्त करने को लालायित रहता था। पढ़ाई के प्रति इतना जुनून था कि अपनी मंजिल प्राप्त करने का जरिया ही अध्यापन चुन लिया। 2004 में पहले शाहकोट के स्कूल में पढ़ाने की शुरूआत की। उसके उपरांत 2006 से जालंधर जिले के औद्योगिक कस्बा गोराया के सरकारी कन्या प्राइमरी स्कूल में प्रधानाचार्या हैं।
काम के प्रति ईमानदार
अंजू बाला अपने काम के प्रति ईमानदार हैं। वह पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। स्कूल को अपना घर समझते हुए स्कूल में निरंतर सफाई व्यवस्था सुचारू बनाने, पौधारोपण, शैक्षणिक टूर तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाने में भी हमेशा आगे रहती हैं। धार्मिक विचारों से ओत-प्रोत अंजू बाला संस्कारों को अधिक महत्व देती हैं और आज के अभिभावकों को कहती हैं कि बच्चों को उच्च संस्कार देने के लिए कुछ समय अवश्य बच्चों के संग बिताएं क्योंकि समृद्ध समाज की परिकल्पना साकार करने के लिए बच्चों को सुसंस्कारित करना आवश्यक है।
अन्य शौक भी करें पूरे
स्टेट बाडी सदस्य के नाते रेडियो प्रोग्राम सैल सर्वशिक्षा अभियान चंडीगढ़ में अपनी सेवाएं प्रदान करती आ रही अंजू बाला का मानना है कि पढ़ाई के साथ बच्चों के अन्य शौक भी पूरे करने चाहिएं। इनका मानना है कि स्कूल में बच्चे न सिर्फ ज्ञान प्राप्त करें, बल्कि अपनी संस्कृति व संस्कारों के साथ भी जुड़ें। बच्चों को उनकी जड़ों से जोडऩा होगा।
अध्यापिका होने पर गर्व
अंजू बाला कहती हैं कि महिला शक्ति के बिना समाज का विकास अधूरा है, आज नारी हर क्षेत्र में पुरुष के कंधे से कंधा मिला कर चल रही है और हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है। उन्होंने बताया कि अध्यापन का काम करते हुए समाज से भी उन्हें बहुत सम्मान मिला है और उनको गर्व है कि अपनी लगन, विश्वास व साहस से उन्होंने अपनी प्रतिभा को निखार कर समाज में अपना एक अलग स्थान बनाया है और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का प्रयत्न करती हैं।
आल इंडिया रेडियो एवं दूरदर्शन से वाणी सर्टीफाइड अंजू बाला स्कूल के बच्चों को रेडियो प्रोग्राम रिकार्डिंग में ले जाकर उनको किताबी ज्ञान के साथ-साथ जीवन जीने का ज्ञान भी दे रही हैं। छोटे से कस्बे गोराया के सरकारी स्कूल के छात्र इनके माध्यम से चंडीगढ़ में रिकार्डिंग करवाने जाते हैं और उनके कई कार्यक्रम टी.वी. पर आते हैं। अंजू बाला का मानना है कि जिंदगी में कोई भी काम असंभव नहीं है। मन में जज्बा और हौसला हो तो हर क्षेत्र में आगे रहा जा सकता है।
हर महिला का शिक्षित होना आवश्यक
पुरुष प्रधान समाज में आत्म सम्मान एवं गरिमापूर्ण ढंग से पुरुषों के साथ चलने के लिए महिलाओं का शिक्षित होना अति आवश्यक है क्योंकि शिक्षा से महिलाओं को न केवल आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी बल्कि यह उनको सामाजिक चुनौतियों का सामना करने की भी शक्ति प्रदान करेगी। अंजू बाला का मानना है कि जैसे-जैसे महिलाएं समाज में तरक्की कर रही हैं, उनकी मुश्किलें भी बढ़ रही हैं। अत: यदि नारी को समाज में सम्मान प्राप्त करना है तो इसके लिए उसका शिक्षित होना अति आवश्यक है क्योंकि शिक्षा ही नारी की असली ताकत है।
— गुलशन छाबड़ा