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मुश्किल में न हारें हौसला: डा. अमर जगपाल

  • Updated: 12 Dec, 2013 01:16 PM
मुश्किल में न हारें हौसला: डा. अमर जगपाल

आज के युवाओं में कमिटमैंट की कमी है और वे हर चीज को आसानी से पा लेना चाहते हैं। आज हर क्षेत्र में चैलेंज है। इसमें सफलता के लिए जरूरी है युवाओं में लम्बे समय तक संघर्ष करने का माद्दा और कमिटमैंट होना।  ऐसा कह रही हैं लुधियाना की 2005 बैच की एम.डी. होम्योपैथिक डा. अमर जगपाल। वह होम्योपैथी में कई बीमारियों को जड़ से खत्म करने को रिसर्च भी कर रही हैं। वह कहती हैं कि होम्योपैथी फील्ड में पहले बहुत ही कम लड़कियां एम.डी. थीं, लेकिन अब होम्योपैथी के क्षेत्र में भी लड़कियां काफी आगे हैं।

नन्ही बच्ची गोद में थी, तब दी एम. डी. की परीक्षा
डा. अमर की बेटी गोद में थी जब उन्होंने एम.डी. की परीक्षा दी। उन्होंने व उनके पति दोनों ने एक ही बैच में एम.डी. पास की है। होम्योपैथी में एम.डी. की परीक्षा सिर पर थी और उसकी गोद में नन्ही बच्ची थी। बच्ची को संभालने के साथ उन्होंने अपने करियर पर भी ध्यान दिया और अ‘छे नंबरों से परीक्षा पास की। अगर इंसान हर मोड़ पर हौसले से काम ले तो हर समस्या पर विजय पाई जा सकती है।

लक्ष्य पाने के लिए जरूरी है विल पावर
डा. अमर के अनुसार किसी भी लक्ष्य को पाना हो तो विल पावर का होना जरूरी है। जब उनकी एम.डी. की परीक्षाएं  सिर पर थीं तब उनके पति डा. मनीष जगपाल किसी हादसे का शिकार हो गए और उन्होंने अपनी बाजू खो दी। ऐसे में परीक्षा की तैयारी करना और परीक्षा देना उनके लिए चैलेंज था लेकिन इतनी मुश्किल में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपने पति की बाजू बन कर उनका साथ दिया। अपने नोट्स बनाने के साथ अपने पति के नोट्स भी तैयार करती थीं। दोनों ने खूब मेहनत की और घर-परिवार के सहयोग से परीक्षा दी। नतीजा दोनों ने ही अच्छे नम्बरों से एम.डी. पास की। वह कहती हैं कि मुश्किलें सामने देख डगमगाना नहीं चाहिए बल्कि अपनी विल पावर से उन्हें बौना कर दें।
 
छोटी उम्र में ही लड़कियां हो रहीं मैच्योर
बदलते लाइफ स्टाइल ने आज के बच्चों को छोटी उम्र में ही मै‘योर बना दिया है। लड़कियों में छोटी उम्र में ही हार्मोन्स चेंज होने लगते हैं जिसका सीधा असर सेहत पर पड़ रहा है। उनकी फिजिकल ग्रोथ भी समय से पहले ही हो रही है। आज के बच्चों में बचपन से ही स्ट्रैस लैवल शुरू हो जाता है, छोटी उम्र में ही अधिक जानकारियां मै‘योरनैस लाती हैं। इन्हीं मुख्य कारणों की वजह से ही आज बच्चे भी कई बीमारियों की गिरफ्त में पड़ते जा रहे हैं। इसलिए जरूरत है बच्चों के लाइफ स्टाइल में बदलाव लाने की। अगर बच्चों में बचपन से ही सही लाइफ स्टाइल की आदत डाल दी जाए तो उन्हें कई बीमारियों की जकड़ से बचाया जा सकता है।

35 वर्ष से अधिक उम्र में बच्चेदानी की रसौली की समस्या अधिक
उनके अनुसार 35 वर्ष की उम्र से अधिक की महिलाओं को बच्चेदानी की रसौली की समस्या अधिक हो रही है जिसके कारणों में एक कारण महिलाओं का देर से शादी करना है। होम्योपैथी में इन समस्याओं का इलाज है और अगर समय पर ही इस समस्या को कंट्रोल कर लिया जाए तो इस रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता है। ये रसौलियां कैंसरजन्य व जानलेवा नहीं होतीं लेकिन ये संतानहीनता का कारण बन सकती हैं।

परिवार का पूरा सहयोग
डा. अमर को परिवार का पूरा सहयोग मिल रहा है। उनके ससुर डा. रमाकांत जगपाल का होम्योपैथी में विशेष नाम है जिस वजह से उन्हें अपनी प्रैक्टिस करने में पूरा सहयोग मिला है। एक ही छत के नीचे उनके परिवार के तीनों एम.डी. होम्योपैथिक विशेषज्ञ इकट्ठे बैठते हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य ट्रू होम्योपैथी को लाना है और लोगों के विश्वास को जीतना है।

होम्योपैथी प्रकृति के नजदीक है
 किसी बीमारी को जड़ से खत्म करना ही ट्रू होम्योपैथी है। इसका एक फायदा यह भी है कि इससे बीमारी दूर तो होती ही है, बल्कि इसके साथ होम्योपैथिक दवाइयों का कोई साइड इफैक्ट नहीं होता। वह होम्योपैथी के क्षेत्र में कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए रिसर्च कर रही हैं और उनके इस मकसद को पूरा करने में उनके ससुर डा. रमाकांत जगपाल का पूरा सहयोग मिल रहा है।

घर परिवार और काम में बैलेंस जरूरी
वह कहती हैं कि प्रोफैशनल महिलाओं को अपने घर-परिवार और ऑफिस के कार्य में सामंजस्य बना कर चलना चाहिए। अगर दोनों में बैलेंस बनाया जाए तो सफलता की राह दूर नहीं है। महिलाओं को संदेश देते हुए वह कहती हैं कि चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न पड़ जाए, कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए बल्कि हौसले से विपत्ति का सामना करना चाहिए।

रीडिंग व कुकिंग करना है पसंद
डा. अमर को रीडिंग और कुकिंग पसंद है। इतने बिजी शैड्यूल में वह अपने परिवार के लिए और खुद के लिए समय जरूर निकालती हैं। परिवार के लिए तरह-तरह की डिशेज बनाना उनका शौक है। बच्चों के साथ मस्ती करना भी उन्हें बेहद अ‘छा लगता है। इतने टाइट शैड्यूल में भी वह अपने परिवार के लिए समय निकालती हैं और उनके साथ बैठ कर हर उतार-चढ़ाव को डिस्कस करती हैं।
 

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