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सोरायसिस के 7 प्रकार, जिन्हें कभी न करें अनदेखा

  • Updated: 20 Dec, 2017 02:05 PM
सोरायसिस के 7 प्रकार, जिन्हें कभी न करें अनदेखा

सोरायसिस क्रॉनिक यानी बार बार होनेवाला आॅटोइम्यून डिजीज है, जो शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है। इसके कारण त्वचा पर लाल और सफेद रंग के धब्बे हो जाते है। ज्यादातर यह समस्या स्‍कैल्‍प, हाथ-पैर, हथेलियों, पांव के तलवें, कोहनी, घुटनों और पीठ पर होती है। वैसे तो यह रोग 2-3 प्रतिशत के लोगों में ही पाया जाता है लेकिन फिर भी इस रोग में पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है। 7 प्रकार में पाई जाने वाली इस समस्या का इलाज न करवाने पर यह बार-बार होती रहती है। इसके बारे में पूरी जानकारी होने पर आप इसका सही इलाज करवा सकते है। आइए जानते है 7 तरह में पाई जाने वाली इस बीमारी के बारे में।
 

1. प्लेक सोरायसिस
8-10 प्रतिशत लोगों में होने वाली इस समस्या के कारण शरीर पर सिल्वर और सफेद रंग की लाइन बन जाती है। कोहनी, घुटने, स्कैल्प और पीठ मे नीचे होने वाला इस सोरायसिस से लाल धब्बे और जलन होने लगती है।

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2. गटेट या चित्तीदार सोरायसिस
युवाओं में पाया जाने वाला ये सोरायसिस शरीर पर छोटे गुलाबी चित्ती सी उभर कर आती है। यह समस्या ज्यादातर बाजू, कोहनी और स्कैल्प पर पाई जाती है। इसमें तनाव, त्वचा में चोट जैसे निशान और दवाइयों का रिएक्शन होने लगता है। ज्यादातर मामलों में यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है।

3. इन्‍वर्स सोरायसिस
इस टाइप के सोरायसिस बाइट रेड, स्मूथ, शाइनी और बिना लाइन के होते है। यह समस्या आर्मपिट्स, ग्रोइन और स्तन के नीचे होती है। यह परेशानी पसीने और रगड़ने के कारण होती है।

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4. पस्‍चुलर सोरायसिस
बड़ी उम्र के लोगों में पाई जाने वाली समस्या संक्रमित होती है। हाथों-पैरों में होनी वाली इस परेशानी के कारण बुखार, उल्टी और खुजली होने लगती है।

5. एरि‍थ्रोडर्मिक सोरायसिस
इस प्रकार के गंभीर सोरायसिस से खुजली, हार्ट रेट बढ़ जाना और शरीर का तापमान कम या ज्यादा होने जैसी समस्याएं हो जाती है। इस संक्रमित सोरायसिस का इलाज न करवाने पर निमोनिया भी हो सकता है।

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6. नेल सोरायसिस
हाथों-पैरों के नाखूनों पर होने वाली यह समस्या अर्थराइटिस से पीड़ित लोगों में होती है। इसके कारण नाखून मे दर्द, नाखूनों के रंग में बदलाव, नाखूनों के अंदर चॉक जैसा तत्व भर जाता है। ज्यादातर यह समस्या फंगल इंफेक्शन के कारण होती है।

7. सोरियाटिक अर्थराइटिस
70 फीसदी लोगों में पाई जाने वाली यह समस्या बहुत अधिक समय तक पाई जाती है। इसके कारण जोड़ो मे दर्द, उंगलियों और टखनों मे सूजन आदि जैसी समस्यां होती है। इस बीमारी का पूरा इलाज करने पर ही इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
 

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