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इन देशाें के 4 अहम फैसलाें ने बदल दी महिलाअाें की जिंदगी!

  • Updated: 28 Aug, 2017 05:36 PM
इन देशाें के 4 अहम फैसलाें ने बदल दी महिलाअाें की जिंदगी!

महिलाअाें के साथ भेदभाव की खबरें काेई नई नहीं हैं। दुनिया में कई एेसे देश हैं, जहां अाज भी महिलाएं खुलकर अपनी जिंदगी नहीं जी सकती। उन्हें पुरुष प्रधान समाज द्धारा बनाए गए नियमाें के अनुसार ही रहना पड़ता हैं और दशकाें से चली अा रही प्रथाअाें का पालन करना पड़ता है। लेकिन इनमें से कुछ देश एेसे भी हैं, जिन्हाेंने एेसे कानून बनाएं जाे महिलाअाें काे स्वतंत्रता से जीने का हक दे सकें। अाज हम अापकाे एेसे ही 5 देशाें के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां लंबी लड़ाई के बाद अाखिर महिलाअाें काे उनका हक मिला।

जानें काैन से हैं ये देशः-

- भारत(तीन तलाक)
भारत में सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को इस्लाम के कुछ समुदायों में मौजूद एक बार में 'तलाक, तलाक, तलाक' कहकर तलाक लेने की प्रकिया (तलाक-ए-बिद्दत) को असंवैधानिक करार दिया। बहुत से लाेग ट्रिपल तलाक का नाजायज़ इस्तेमाल करते हुए महिलाओं का शोषण कर रहे थे। महिलाअाें काे ई-मेल, खत, व्हाट्सएप्प, फेसबुक या फोन आदि के जरिए तलाक दिया जा रहा था, जिसे अब बंद कर दिया गया है। 

- चिली(अबॉर्शन)
चिली भी अब दुनिया के उन देशाें में से एक हैं, जहां अबॉर्शन काे लीगल कर दिया गया है। 2 अगस्त को चिली के पार्लियामेंट में इस मुद्दे पुर वोटिंग के बाद एक नया संविधान पेश किया गया, जिसके तहत उन मामलों में गर्भपात को वैध करार दिया गया, जहां महिला की जान काे खतरा हाे।

- जॉर्डन, लेबनान और ट्यूनीशिया(रेपिस्ट से शादी)
मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अमरीका के 3 देशों ने 'रेपिस्ट से शादी' करने के कानून को खत्म किया। इस कानून की वजह से रेपिस्ट, पीड़िता से शादी करके अपराध की सजा से बच जाता था। लेकिन लेबनान के पार्लियामेंट में 16 अगस्त, 2017 को आर्टिकल 522 को खत्म कर दिया, जिसके तहत क्रिमिनल कोड से रेप-मैरिज प्रोविजन हटा दिया गया। जॉर्डन में 1 अगस्त और ट्यूनीशिया में 26 जुलाई को इस कानून काे खत्म कर दिया गया।

- नेपाल(पीरियड्स के दाैरान भेदभाव)
नेपाल के बहुत से हिस्सों में सालाें से महिलाअाें के साथ जुल्म हो रहा था। पीरियड्स और डिलीवरी के दौरान महिलाअाें काे घरों से बाहर रहना पड़ता था। इस प्रथा को छाउपडी (chhaupadi) कहा जाता है। 9 अगस्त को नेपाल के पार्लियामेंट में इस कुप्रथा के खिलाफ सर्वसम्मति से वोट डालकर इसे गैरकानूनी करार दिया गया। अब एेसा करने वाले काे 3 महीने की जेल या 3000 रुपए ($30) का जुर्माना लगाए जाने का प्रवधान है।

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