पेरेंटिंग: औरत के लिए प्रैग्नेंसी का पल काफी खास होता है, क्योंकि उसके पेट में एक नन्हीं सी कली पल रही होती है। जब कोई औरत प्रैग्नेंट होती है ज्यादातर डॉक्टर अच्छी डाइट, खास देखभाल और प्रोपर बेडरेस्ट के लिए कहते है। साथ ही समय-समय पर कॉक करने के लिए कहा जाता है लेकिन वर्किंग वूमन के लिए यह सब काफी मुस्किल भरा समय होता है। ऐसे में अपनी और बच्चे की देखभाल करना काफी चनौती भरा काम होता है। अब आपको जान कर खुशी होगी कि अब महिला की यह परेशानी काफी हद तक कम हो जाएगी।
सरकार ने संसद में गर्भवती महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव से जुड़े बिल को पास कर दिया है। यह मैटरनिटी बिल 2016 में राज्यसभा में पास हुआ था, िसके बाद यह लोकसभा में पास हुआ। मैटरनिटी लीव एक ऐसा एक्ट है, जहां वर्किंग महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अपनी और गर्भ में पल रहे बच्चे की देख-रेख के लिए छुट्टियां दी जाती है। इतना ही नहीं बल्कि उस महिला को पूरी सैलरी भी दी जाती है।देश में करीब 18 लाख महिलाएं ऐसी हैं, जो वर्किंग हैं। वह सब सरकार की दी गई इस सुविधा का लाभ उटा सकती है।
पहले मैटरनिटी लीव केवल 12 हफ्ते के लिए दी जाती थीं लेकिन सरकार ने एक्ट पास किया है कि महिला को उसके पहले 2 बच्चों के लिए 26 हफ्तों की मैटरनिटी लीव आसानी से मिल सकेगी। अगर वहीं महिला तीसरी बार प्रैग्नेंट होती है, तो उसे यह सुविधा मिलना नामुमकिन है। अगर कोई महिला इस नियम का पालन नहीं करेंगी तो उसे 5000 रुपये जुर्माना औक 3 से 6 महीने तक की सजा सुनाई जा सकती है। यह नियम उसी संस्था पर अप्लाई होगा, जहां 10 या इससे अधिक एम्प्लॉय काम करते हैं।
कुछ जरूरी शर्ते
इस नियम के अनुसार कोई महिला 3 महिने का बच्चा गोद लेती है या सरोगेट मदर का सहारा लेती है तो उसे 12 हफ्तों की छुट्टी दी जाएगी। इतना ही नहीं, वह दिन में 4 बार अपने बच्चे को देखने जा सकती है। अगर वह महिला लीव खत्म होने के बाद घर से काम करना चाहती है तो वह ऑफिस में अपनी अर्जी दे सकती है, लेकिन यह नियम पर निर्भर करेगा।