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कैसे और क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज?

  • Updated: 26 Jul, 2017 01:00 PM
कैसे और क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज?

हरियाली तीज का उत्सव श्रावण मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। यह महिलाओं का खास उत्सव होता है। इस उत्सव में महिलाओं के मन नृत्य करने लगते और पेड़ों पर झूले पड़ जाते है। चारों तरफ हरियाली होने के कारण इस उत्सव का नाम हरियाली तीज रखा गया। प्रेम का यह उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन में मनाया जाता है। इस मौके पर स्त्रियां इक्ट्ठा होकर झूला झूलती है और लोकगीत गाती हैं। 

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हरियाली तीज की रस्म

हरियाली तीज को मेंहदी रस्म भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने हाथों और पैरों का मेंहदी लगाती है और कुल की बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद लेती है।मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और साथ ही श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए। महिलाएं व्रत रखती है। हरे रंग के कपड़े पहनती है। 

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पौराणिक महत्तव 

कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया फिर भी उन्हें पति के रूप में शिव प्राप्त न हो। जब माता पार्वती ने 108 वां जन्म लिया तब श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तृतीय को भगवान शिव माता पार्वती पति रूप में प्राप्त हुए। तभी से इस वर्त का आरम्भ हुआ और सुहागन इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है और कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की मनोकामना के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। 

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