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हिंदू धर्म में होती हैं ये 8 अलग-अलग तरह की शादियां! (pics)

  • Updated: 03 Aug, 2016 05:04 PM
हिंदू धर्म में होती हैं ये 8 अलग-अलग तरह की शादियां! (pics)
सभी धर्मों में शादी का अलग-अलग महत्व है लेकिन हिंदू धर्म में शादी का एक अलग ही महत्व माना जाता है। शादी एक एेसा पवित्र बंधन है, जो दो लोगों को नहीं बल्कि दो परिवारों को सात जन्मों के बंधन में बाध देता है। एेसा कहा जाता है कि हिंदू धर्म में सोलाह संस्कार होते है जिनमें से विवाह को एक संस्कार माना जाता है। हिंदू धर्म में शारीरिक संबंधों से ज्यादा अात्मिक संबंध को अहमियत दा जाती है और इसी को पवित्र बंधन का नाम दिया जाता है लेकिन क्या अापको पता हैं कि हमारे हिंदू धर्म में विवाह कितने प्रकार के होते हैं। अगर नहीं जानते तो अाइए जानते हिन्दू धर्म की 8 तरह की शादियां के बारे में...
 
 
1.ब्रह्म विवाह
 
जब लड़का और लड़की दोनों पक्षों की अापसी सहमति से रिश्ता किया जाता है तो उसे ‘ब्रह्म विवाह’ कहा जाता है।हिंदु धर्म में इस विवाह को पहला स्थान दिया जाता है। इस तरह के विवाह में लड़की को आभूषणों और दान-दहेज के साथ ससुराल विदा किया जाता है।
 
2. दैव विवाह
 
दैव विवाह तब किया जाता है, जब सेवा कार्य के रूप में अपनी कन्या को दान कर दिया जाता है। धार्मिक अनुष्ठान के लिए कन्या को दान करना ‘दैव विवाह’ कहलाता है।
 
3. आर्श विवाह
 
हिंदू धर्म में आर्श विवाह वह है जब वर पक्ष के लोग कन्या पक्ष वालों को कन्या का मूल्य देते हैं और फिर उस कन्या से विवाह करते है।
 
4. प्रजापत्य विवाह
 
प्रजापत्य विवाह वह कहलाता है जब किसी कन्या की मर्ज़ी के बगैर विवाह कर दिया जाता है। अगर कोई अपना कन्या को उसका सहमति के बिना उससे अधिक उम्र के वर से विवाह कर दिया जाता है तो उसे ‘प्रजापत्य विवाह’ कहते हैं।
 
5 गंधर्व विवाह
 
जब बिना परिवार की मर्जी के लड़का-लड़की शादी कर लेते है तो उसको ‘गंधर्व विवाह’ कहते हैं।
 
6. असुर विवाह
 
किसी लड़की की कीमत चुकाकर उसे खरीद लेना और फिर उससे शादी करना ‘असुर विवाह’ कहलाता है।
 
7. राक्षस विवाह
 
किसा लड़की का अपहरण कर लेना और फिर उससे जबरन शादी करना ‘राक्षस विवाह’ कहलाता है।
 
8. पैशाच विवाह
 
किसी लड़की की मजबूरी का फायदा उठाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बना लेना और बाद में शादी कर लेना पैशाच विवाह’ कहलाता है।
 

बेशक ही हमारे हिन्दू धर्म की शादियां आठ प्रकार में बांटी गई है, लेकिन ब्रह्म विवाह को ही सामाजिक तौर ज्यादा अहमियत दी जाती है। 

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