भारत में आज भी कई जगह एेसी है जहां अजीबो-गरीब परंपराएं देखने को मिलती है। हालांकि बदलते वक्त के साथ-साथ कई परंपराएं भी बदली हैं, लेकिन अभी भी कई प्रथाएं ज्यों की त्यों चली आ रही हैं। एेसा ही कुछ बिहार में देखने को मिला, जहां दहेज से बचने के लिए दूल्हों का अपहरण तक कर लिया जाता है तो कहीं दूल्हों को बेचने के लिए मेला भी लगा जाता है और दूल्हों की बोली भी लगती है। यहां मेले में दूल्हा बिकता है और दूल्हों की बोली लगती है।
बिहार के मधुबनी में हर साल दूल्हों के मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में हर साल बिकने के लिए दूल्हों की भरमार लगती है। इतना ही नहीं यहां खुले आम दूल्हों की बोली लगती है। मेले में आने वाले लोग अपने पसंद के दूल्हे को खरीदने के लिए बकायदा उसकी कीमत चुकाते हैं।
- लड़की के मा-बाप लगाते हैं बोली
लड़कियों के माता-पिता खुद इस मेले में आकर दूल्हों की बोली लगाते है। दूल्हों के इस भीड़ में से वो अपनी बेटी के लिए एक योग्य दूल्हे को पसंद करते हैं। इसके बाद लड़की और लड़के के घरवाले दोनों पक्षों की पूरी जानकारी हासिल करते हैं। सौदा पक्का हो जाने के बाद लड़का और लड़की की रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है फिर दोनों की शादी करवाई जाती है।
- दहेज प्रथा को रोकना
बताया जाता है कि दूल्हों की बोली वाले इस मेले की शुरुआत सन 1310 ई. में तत्कालीन मिथिला नरेश हरि सिंह देव ने की थी। इस मेले की शुरूआत करने के पीछे सिर्फ एक ही मकसद था और वो था दहेज प्रथा को रोकना समय के साथ ही अब इस मेले की अहमियत भी कम होने लगी है। अब इस मेले आर्थिक रुप से कमजोर परिवार के लोग ही दूल्हा खरीदने के लिए आते हैं।
आज भी इस मेले में दूल्हों की बोली लगती है लोग अपनी पसंद के दूल्हे की कीमत चुकाकर उससे अपनी बेटी का शादी करवाते हैं।