सोराइसिस त्वचा पर पनपने वाली एक ऐसी बिमारी है जिसका इलाज अभी तक चिकित्सा जगत में उपलब्ध नहीं है। जरूरी देखभाल और दवाओं के इस्तेमाल से इसे बढऩे से रोका जा सकता है और इससे होने वाली समस्याओं से राहत पाई जा सकती है। एक शोध में यह बात सामने आई है कि बिना सोराइसिस वाले लोगों की तुलना में इससे प्र्रभावित 64 फीसदी लोगों में टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम ज्यादा रहता है। यह जोखिम आश्चर्यजनक रूप से रोग की गंभीरता पर निर्भर है।
सोराइसिस प्रतिरक्षा प्रणाली की एक बीमारी है जिसमें त्वचा में सूजन हो जाती है और इसकी कोशिकाएं सामान्य से ज्यादा तेजी से बढ़ती है। इससे लाल रंग के धब्बे बन जाते हैं जो सफेद त्वचा से ढक जाते हैं, जब यह त्वचा के सतह तक पहुंचते हैं तो मर जाते हैं। सोराइसिस से पीड़ित लोग अपने शरीर का 10 फीसदी या उससे ज्यादा हिस्सा ढके रहते हैं। इस शोध के निष्कर्ष ‘जर्नल ऑफ अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी’ में प्रकाशित किए गए हैं। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि शोध के निष्कर्षो को दुनिया भर के सोराइसिस से पीड़ित लोगों को लागू करने पर 125,650 मधुमेह के नए मामले हर साल सामने आएंगे।